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विरोध करने के लिए किसी शहर या देश को बंद करना सही है?

भारतमे किसी घटना काविरोध दर्शाने हेतू ,राजनितीक पार्टीया, सामाजिक संघटन ,या धार्मिक संघटनाबंद का आवाहन करती है. जिसमे सबसे जादा होडराजनितीक पार्टीयोके बिच होती रहतीहै.बंदके दौरान कयी अनुचित घटनाये होती है.

लेकीन क्या विरोध दर्शाने का यह सही तरीका है..?

भारतीय संविधान हर अमिर गरीबनागरीक को किसी घटना परअपना मत प्रदर्शन करणे काअधिकार देता है लेकीन ये विरोध ‌शांतिपूर्ण ढंगसे होना चाहिए. लेकीन आजकल छोटी-मोटी घटनाओ के चलते बंद आंदोलन ये फॅशन सा हुआ है. जिसके दौरान हिंसा और सार्वजनिक तथा निजी संपत्ती को हानी पहुंचाना ये आम बात हुयी है.


वैसे देखा जाये तो ये बात 'दर्द कहा और दवा कहा' जैसी है.


कोई भी समस्या का एक निश्चित हल होता है. मानलो सरकार किसी विशिष्ट समुदाय या कर्मीयोकी मांगे पुरी नही कर रही है, यह समस्या हल होने के लिये सरकार तक अपनी मांगे पहुंचाना या कोर्टका दरवाजा खटखटाना ये सही कदम होगा. लेकीन जादा तर देखा जाता है की, किसी कंपनी के मजदूर आंदोलन दरम्यान उसी कंपनीके संपत्ती को क्षती पहुंचाते है. क्या यह उचित है?

जपानमे जुता बनाने वाली एक कंपनी मजदुरोकी मांगे नहीं मान रही थी. इस हालत में मजदूरोने काम बंद नही किया बल्की एक खास तरकीब निकाली. जिसमे उन्होंने सिर्फ बाये पावका जुता बनाना शुरु किया. मतलब काम बंद नही था और सिर्फ एक जुता कंपनी नही बेच सकती थी. जिसे देखकर कंपनीने मांगे पुरी की और दुसरे दिनसे दाहिने पावके जुते बनाना शुरु किये ईसमे उत्पादन भी हुआ और कंपनी तनखा भी नहीं काट सकी क्यो की काम बंद नही था.

कुछ समुह किसी शहर, राज्य या देश बंद करते है जो एक बिलकुल गलत तरीका है. जिसमे सबसे जादा नुकसान आम जनताकोही झेलना पडता है.

१) शहर बंद होने से दूकाने बंद रहती है.जिससे गरीब लोग दैनंदिन जरुरी सामान तथा खानेकी चिजे नही खरीद पाते जिससे भुखमरी होती है.जहाकी अमिरोंके घर अनाज एवं अन्य सामुग्रीका स्टॉक होता है.

२) परिवहन बंद होने से मरीजको ईलाजके लिये अस्पताल पहुंचना मुश्कील होता है ,जिसका घटी घटनासे कोई संबंध नही होता. छात्र स्कुल , कॉलेज नही जा पाते ,जिससे उनकी शिक्षाका नुकसान होता है.


३) छोटा मोटा धंदा करके घर चलाने वालोंको परेशानी होती है. दुकाने बंद रहनेसे बडे दुकानदारोका भी नुकसान होता है.


४) बंदके दौरान सार्वजनिक संपत्ती को हानी पहुंचाई जाती है जिससे सरकार पर आर्थिक बोझ बढता है जो सरकार टैक्स बढाकर वसुल करती है.

५) कुछ समाजविरोधी तत्त्व हिंसा , लुटमार करते है जिससे सांप्रदायिक तनाव बढता है.

कभी कभी सिर्फ अफवाओ के आधारपर बंद का आयोजन किया जाता है. जबकी हकीकत कुछ और होती है. सभी राजनितीक पार्टीया ईसका फायदा उठाती है. वे सब आपसमे मिले जुले रहते है और सामान्य जनता को भडकाते हैं. किसी नेता या उसका बेटा कभी आंदोलन दरम्यान मारा नही जाता, बल्की आम युवाओको पकडकर जेलमे डाला जाता है जिससे वो अपने भविष्यको खो बैठते है.


किसी अनुचित घटना का विरोध करना गलत नही हैं लेकीन उसकी सजा किसी बेगुनाहोको नहीं भुगतना पडना चाहिए. ईसलिये कोई अनुचित घटना के लिये हकीकतमे जिम्मेदार कौन है ये देखकर उसे कानुनी दायरेमे सजा देना चाहिए‌ ना की बेगुनाहोको क्षती पहुंचाना चाहिए.

सरकारके पास कोई मांग हो तो संबंधित विभागके अफसर या मंत्रीसे कहना चाहिये ना की सरकारी संपत्तीकी तोडफोड करना चाहिए. तो चलिए आज सब मिलकर ये वादा करते है की हम आनेवाले कल को बेहतर बनाने में खुद से शुरुवात करेंगे। क्योकि अब बदलाव लाना जरुरी है. अगर आपको मेरा काम अच्छा लगता है, तो इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाने में मेरी मदत करे. और आने वाले कल को बेहतर बनाने के इस मिशन का हिस्सा बने. कृपया हमारे मिशन में शामिल होने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें.


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