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10 बाते जो हमें ओलंपिक में ज्यादा मेडल दिला सकती हैं

दुनियामें उसी देश कानाम होता है जिसकेपास कुछ खास होताहै। प्राकृतिक उपहार होना हमारे हाथमें नहीं है बल्किइसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति केमाध्यम से अर्जित कियाजा सकता है। चाहेवह तकनीक हो, कला होया खेल।

कम लागतवाले क्षेत्रों में से एक खेल है।उदाहरण के लिए, दौड़ने काअभ्यास करने का कोई खर्चा नहीं है।या फिर लगता है तो बहोत ही नगण्य।खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर हम ओलिंपिक खेलो मे वैश्विक स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकते हैं।



लेकिन ऑलिंपिक के अब तक के इतिहास पर नज़र डालें तो पता चलता है कि कुछ अपवादों को छोड़कर भारत का प्रदर्शन बहोत ही निराशाजनक रहा है.



कुछ देश, जैसे की जापान, जर्मनी, इंग्लैंड का क्षेत्रफल भारत के एक राज्य के क्षेत्रफल से भी कम है, फिर भी वे ओलंपिक में हमसे कई गुना आगे हैं। ओलंपिक की शुरुआत के बाद से, अमेरिका ने कुल 2,632 पदक जीते हैं, जनसंख्यामे महाराष्ट्र के समान इंग्लैंड ने अब तक 917 पदक जीते हैं।


भारत ने अब तक केवल 35 पदक जीते हैं. देश की आबादी को देखते हुए यह प्रदर्शन बहुतही निराशाजनक है। 2021 मे संपन्न ऑलिंपिकमे भारतको केवल 7 पदक मिले हैं. मैं सभी खिलाडियोका अभिनंदन करता हुं. और आगे भी वह अपनी जिंदगी में ऐसे ही सफलता हासिल करे और देश का नाम रोशन करे इसके लिए शुभकामनाये देता हूँ. हमें आप पर गर्व है.



भलेही 7 पदक मिलनेपर भारतवासी नाच रहे है लेकीन अन्य देशके मुकाबले हम कितने पिछे है ईस बात का चिंतन बहोत जरुरी है. क्या हमे एक अंक में मिलने वाले मेडल्स पर संतुष्ट रहना चाहिए या अन्य देशो जैसे २-३ अंक में मेडल्स हासिल कर दुनिया में भारत का नाम रोशन करना चाहिए ?


अगर हम कुछ छोटी छोटी बातों को सीरियसली लेते है तो शायद हम आनेवाले कुछ सालो में ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है


१. - ओलिंपिकमें ५० से भीज्यादा स्पोर्ट्स खेले जाते है. लेकिन हमारे भारत देश मेंक्रिकेट को ही सर्वश्रेष्ठमाना जाता है. जोकी अमेरिका, जपान, चीन जैसे देशखेलते भी नहीं हैइसीलिए ये ओलिंपिक काहिस्सा भी नहीं है. जब हमे मैडल मिलताहै तब हमे पताचलता है की ओलिंपिकमें यह स्पोर्ट भीहोता है. इससे हमारी खेल के प्रति जागरूकता पता चलती है. आज स्पोर्ट्स के प्रति अवेयरनेसबढ़ने की जरुरत है. ताकि योग्य व्यक्ति उस विशेष स्पोर्टका हिस्सा बन सके.


२. - भारतमें जादातर अयोग्य खिलाडिओका का चयन ओलंपिक के लिए किया जाता है।इससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसेरोक लगाना जरुरी है. बुधिया सिंह जैसे कई बच्चे हमारे देश में है जिन्हे प्रॉपर ट्रेनिंग और गाइडेंस नहीं मिल रहा है. जो की भारत का नाम रोशन कर सकते है.


३.- सरकार राजनीतिक विज्ञापनों, मनोरंजन और कई अन्य बकवास खर्च करती है लेकिन खेलों के लिए बजट का ज्यादा प्रावधान नहीं करती है।अगर बजट नहीं हैतो ऐसे खेलो को प्रोत्साहन देना चाहिए जो की कम लागत में अच्छा प्रदर्शन दे सके


४.- अन्य देशों में, बच्चों को कम उम्र से प्रशिक्षित किया जाता है और हारने वाले खिलाडीओ को फिर से प्रशिक्षण शुरू करते हैं। भारत में, हालांकि, ओलंपिक की तारीखों की घोषणा होने पर प्रशिक्षण शुरू होता है। इस रवैये को बदलने की जरुरत है.


५.- हाल ही में संपन्न हुए ओलंपिक में टिम की हार के कारण कुछ गुंडे महिला हॉकी स्टार वंदना कटारिया के आवास पर गए और पटाखे फोड़े। इससे खिलाड़ियों का मनोबल टूटता है। और भविष्य में खिलाडी हार की डर से खेलो से दूर रहना ही उचित समज़ते है. इस सोच को बदलने की जरुरत है.


६.- मछुआरों के बच्चे जो तैराकी, रस्ते पर मनोरंजन के लिए शारीरिक कसरत करने वाले लोग जिमनास्टिक में और आदिवासी लोग शूटिंग में बहुत कुशल होते हैं, वे इस स्पोर्ट का हिस्सा बनकर अच्छे खिलाडी बन सकते हैं. ऐसे लोगो को कम उम्र से ही सही शिक्षा देनी चाहिए और सरकार द्वारा अपनाया जाना चाहिए ताकि वह ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है.


७.- हमारे भारत में यह एक अंधविश्वास है कि भाग्यमे होने पर ही कुछ मिलेगा। यह भी एक असफलता कारन है. हम अक्सर सोचते है की अपने भाग्य में पदक है ही नहीं इसलिए हमे पदक मिलते नहीं। इस नकारात्मक सोच को बदलने और बाकि देशो जैसे कड़ी मेहनत करने पर विश्वास रखने की जरुरत है.


८.- हमारे देश में माता पिता का एक ही सपना होता है की अपना बच्चा अच्छेसे पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी मिल जाये तो लाइफ सेट है. जिससे बच्चो को पढाई छोड़कर खेल के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता। आज बच्चो को अपना रास्ता खुद चुनने की आजादी होनी चाहिए।


९.- हमारे देश के युवा वर्ग ज्यादा तर सोने की चीजे पहनने में और आमिर होने का दिखावा करने में बहोत बड्डपन मानते है. जोकि कई बार नकली सोना होता है या फिर किसीने दिया हुवा होता है. यह सोच बदलकर अगर हम यही सोने का मैडल देश के लिए लाने के लिए बड्डपन समझे तो शायद हमारे देश की युवा पीढ़ी सही रास्ते पर होगी


१०.- ओलिंपिक में मैडल मिलने के बाद खिलाड़ियों को भर भर कर पैसा दिया जाता है. उनके साथ फोटोज निकाले जाते है. लोग उनके साथ अलग अलग तरीके से रिश्ता जोड़ने की कोशिश कर खुद को बड़ा दिखाने की कोशिश करते है. लेकिन यही खिलाडी जब मेहनत करता है तो उसे कोई सपोर्ट नहीं करता, अलग अलग तरीके से ताने मारकर उसका मनोबल तोडा जाता है जो की बहोत गलत बात है।


अगर हम इस दस बातो को सीरियसली लेते है तो शायद हम आनेवाले कुछ सालो में ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है. तो चलिए आज सब मिलकर ये वादा करते है की हम आनेवाले कल को बेहतर बनाने में खुद से शुरुवात करेंगे। क्योकि अब बदलाव लाना जरुरी है. अगर आपको मेरा काम अच्छा लगता है, तो इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाने में मेरी मदत करे. और आने वाले कल को बेहतर बनाने के इस मिशन का हिस्सा बने. कृपया हमारे मिशन में शामिल होने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें.

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